पोषण कार्यक्रम से बदला दूर-दराज के आदिवासी क्षेत्रों में खान-पान का स्वरूप

पोषण कार्यक्रम से बदला दूर-दराज आदिवासी इलाकों में खान-पान का स्वरूप

“एक माह मेँ केवल दो बार हरी सब्जी का उपयोग होता जब माँ बाजार जाती तो हरी सब्जी नसीब होती लेकिन किचन गार्डन लगाने के बाद सप्ताह मेँ चार दिन हरी सब्जी खाते है और पड़ौसियों को भी दी है” – पन्नालाल *(टी बी मरीज़)

घटेड़ गांव के निवासी पन्नालाल, 2017 में टी बी रोग का शिकार हुआ था। इस बीमारी से ग्रसित होने के कारण पन्नालाल बेहद कमज़ोर पर गया था । घटेड़ अमृत क्लिनिक में उसको जांच के आधार पर टी बी का इलाज शुरू किया गया। अमृत टीम के लगातार काउंसलिंग व परिवार से संपर्क के दौरान पन्नालाल को हौसला मिला और वो समय पर दवाई भी लेता रहा। परंतु परिवार में पोषित खान-पान के अभाव के कारण पन्नालाल कुपोषित होता गया जिससे दैनिक कार्य करने में उसे थकान और परेशानी मेहसुस होता था।

घटेड़ पंचायत, जिला उदयपुर से 102 किलोमीटर तथा तहसील मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी पर है l यहाँ की कुल आबादी 7000 से अधिक है, जिसमें 98% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है जिसमें मीणा समुदाय मुख्य जाति है और दूसरी जाति मेघवाल,भाट है l दक्षिणी राजस्थान में घटेड़ जैसे अन्य कई पंचायत ऐसे वंछित इलाकों से है जहाँ रोज़गार की कमी, ज़मीन की अभाव के कारण गरीबी का प्रकोप है। यहाँ की कुल आबादी के 60% परिवारों में पुरुष प्रवास पर जाकर अपने परिवार की रोज़ी – रोटी कमाते है जिसमें मुख्य प्रवास का स्थान गुजरात है और सबसे ज्यादा निर्माण कार्य, होटल और हमाली का कार्य करने वाले श्रमिक है l

प्रवास से कमाई होने वाली राशि से कई परिवार  सभी जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पाती। अत: गरीबी के कारण इन इलाकों में स्वास्थ्य एवं कुपोष की समस्याएं गंभीर रूप से  है। सन 2016 में सलूम्बर तहसिल में की गई एक शोध में देखा गया कि इस इलाके में 33% पाँच वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों में कुपोषण पाए गए थे। इसी शोध के दौरान यह भी देखा गया कि केवल 14% घरों में सब्ज़ियाँ और 1% घरों में अंडे उपलब्ध थे।

इन क्षेत्रों में बेसिक हेल्थ केयर सर्विसेस , अमृत क्लीनिक द्वारा पिछले 5 साल से 24 घंटे लगातार स्वास्थ्य की सेवाएँ दे रहा है। इन दूर दराज़ क्षेत्रों में परिवारों में खान-पान की पूर्ति और पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए 2017 में  बेसिक हेल्थ केयर सर्विसेस  और कृषि विज्ञान केन्द्र उदयपुर मिलकर पोषण कार्यक्रम की संरचना किया । इस कार्यक्रम के अंतरगत, अतिवंछित एवं जरूरतमंद परिवारों को किचन गार्डन, पॉल्ट्री तथा बकरी पालन जैसे गतिविधियों से जोड़ा गया। इसके अंतर्गत, घटेड गाँव के 8 फला में 110 परिवारों में किचन गार्डन की शुरुआत की गई जिसमें परिवार में ( लौकी, भिंडी, तरोई, करेला,  मिर्ची,बेंगन तथा टमाटर ) जैसी सब्जियों के बीज और पौधे उपलब्ध करवाए गए।

इसी कार्यक्रम में पन्नालाल और अमृत क्लिनिक से जुड़े कई गंभीर मरीज़ों के परिवारों को किचन गार्डन का महत्व, उगाने के तरीके और फायदे समझाए गए। इन परिवारों को सब्ज़ी की खेती, उनसे बनने वाली स्वादिष्ट और पोषित रेसीपी तथा पौष्टिक आहार का महत्व नियमित प्रशिक्षणों के माध्यम से  समझाया गया । इसके साथ समय – समय पर नियमित रूप से इन परिवारों का घर पर संपर्क तथा परिवार के सदस्यों को खान-पान की सलाह और प्रोत्साहन से इनमें बदलाव नज़र आए।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए इन इलाकों में मुर्गी पालन तथा बकरी पालन को इस पोषण कार्यक्रम में जोड़ा गया। प्रशिक्षण तथा परिवारों के साथ लगातार परामर्श के दौरान मीट तथा अंडे की पोष्टिक मूल्य पर चर्चा तथा समुदाय में  मांसाहारी खाद्य से जुड़े मिथकों को बदलने का प्रयास भी रहा।

इस दौरान हमने देखा कि जहाँ जुलाई 2017 में केवल 5.4% परिवारों ने मीट खाई, जनवरी 2018 तक इस का सेवन 34.8% परिवारों में हुई। इसके साथ ही देखा गया की अंडों के उत्पादन से जनवरी 2018 में 50% से भी अधिक घरों में अंडे की रेसीपी बनायी तथा सेवन की गई। इसी प्रकार से सब्ज़ियों का सेवन 55% परिवारों (अक्टोबर ’18) से 84% परिवारों (जनवरी’18) तक वृद्धि हुई।

इस कार्यक्रम द्वारा स्वास्थ्य सेवाअों के साथ-साथ पोषम की सि्थति में परिवर्तन लाने का एक व्यापक प्रयास रहा है। इसका महत्त्व हम देखते हैं  पन्नालाल खे जीवन में आए परिवर्तन से। प्रशिक्षण का लाभ उठाकर, पन्नालाल अपने घर पर सब्ज़ी बाड़ि लगाया और और घर पर मुर्गी पालन की व्यवस्था जैसे मुर्गियों का घर, टीके, साफ सपाई, दाने की व्यवस्था की गई। किचन गार्डन और मुर्गी पालन के दौरान, पन्नालाल और उसका परिवार घर पर मिलने वाले सब्ज़ियाॅं और  अंडे रोज़ सेवन करने लगा । इससे  उसका वजन 3 किलो बढ़ा और शरीर में ताकत महसूस करने लगा।  समय पर दवाई लेने के साथ-साथ पोषित आहार से पन्नालाल समय पर टी बी बीमारी से मुक्त हुआ और उसके स्वास्थ्य में सुधार भी आया।

 

– Ramesh Bunker (Executive, Social Mobilisation and Outreach, Basic HealthCare Services)