प्राथमिक स्वास्थ्य में मेरा नर्सिंग का सफ़र : नामुम्किन कुछ भी नहीं !
धीरज जैन , नर्स मेंटर , बेसिक हेल्थ केयर सर्विसेज-
मैंने 14 साल पहले GNM की पढ़ाई पूरी की थी। नर्सिंग में जुड़ने के लिए मेरे मामाजी ने प्रोत्साहित किया था जो ख़ुद एक नर्स है। उन्होंने कहा था कि ये सेवा से जुड़ा काम है जिसमें हम लोगो की जान बचा सकते है । मैंने नर्सिंग का सफर शुरू किया था अहमदाबाद के एक अस्पताल के ICU में। कुछ साल बाद मैं उदयपुर आया और वहाँ गीतांजली अस्पताल में मेरी ड्यूटी लगती थी Emergency unit, Cardiac ICU, Psychiatric ward, ICU for burn and injuries. अपने अनुभव को बेहतर करने के लिए काम के साथ-साथ मैंने Post B.Sc Nursing भी की। इतना आसान नहीं था दोनों एक साथ कर पाना लेकिन दोनों की अहमियत भी थी। इस अनुभव से मुझे Emergency Management में सबसे ज्यादा रूचि होने लगी ।
फिर मैं बेसिक हेल्थ केयर सर्विसेज के साथ जुड़ा जहाँ मेरी पोस्टिंग हुई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निठाउवा में। निठाउवा एक ग्रामीण क्षेत्र है और लगभग 84% लोग आदिवासी समुदाय के है। मैं खुद उसी जिले के एक गाँव से हुँ पर जिस तरह के समुदाय को हम स्वास्थ्य सेवा दे रहे थे उनके साथ मेरा पहला अनुभव था। जब पी. एच. सी. सरकार से ली गयी थी 2015 ऑक्टोबर में, हमें काफी चुनौतियाँ आई थी: समुदाय के साथ संपर्क बनाना, विश्वास बनाये रखना और साथ ही दिन-रात प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा देना। शुरुआत में मुझे लगता था कि प्राथमिक स्वास्थ्य में लोग सिर्फ सर्दी खांसी के लिए आते है। लेकिन जैसे-जैसे सेवा देते गए, हमने देखा कि हर प्रकार के व्यक्ति को प्राथमिक स्वास्थ्य की आवश्यकता थी : महिला, बच्चे, आदमी , वुजूर्ग। और इससे यह भी एहसास हुआ कि न जाने कितने ऐसे समुदाय है जो स्वास्थ्य की सेवाओं से अतिवंछित है। इन क्षेत्रों में जानलेवा बीमारियाँ जैसे क्षय रोग , मलेरिया काफी फैले हुए हैं। इन बीमारियों से परिवार में कई चुनैतियाँ आती है। मज़दूर काम पर कमाने नहीं जा पाते, परिवार में परेशानियां बढ़ जाती है और यह बीमारी भी फैलती है। दो – तीन सालों से हमने डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीज़ भी देखे पी.एच.सी. पर। मेरे मन में एक ढृढ़ बना कि मुझे आगे इन्ही ग्रामीण क्षेत्रों के समुदायों के साथ काम करना है ताकि उन्हें अच्छी सी अच्छी प्राथमिक सेवा मिले और वह स्वस्थ रहे, काम पर जा सके और अच्छे से कमा सके।
मुझे आज भी याद है मेरे ज़िंदगी का सबसे यादगार चुनौति। 2017 मैं एक 2 साल की बच्ची को बेहोश हालात में पी. एच. सी. लाया गया था। उसे इलेक्ट्रिक शॉक लगी थी और उसकी हालत बहुत गंभीर थी। मेरे टीम के साथ मिलकर हमने बच्ची को resuscitate किया , 108 की व्यवस्था की और आगे अस्पताल भेज दिया। उस बच्ची की जान बच गयी थी। पी एच सी में हमें लगातार ट्रेनिंग सरकार और BHS से मिलती थी। यह बहुत महत्त्वपूर्ण रहा हमारे क्षमता और कौशल को बढ़ाने के लिए क्योंकि OPD के साथ-साथ हम कई IPD, emergency और डिलीवरी भी मैनेज कर पाए। इस दौरान हमें Resuscitation , Basic Life Support और Advanced Life Support की प्रशिक्षण भी मिली थी जिससे हम cardiac arrest मरीज़ को भी अपने पी एच सी पर सही तरीके से मैनेज कर आगे भेज पाए।
काम के दौरान मुझे 2018 में BHS का Nurse Mentor बनाया गया। इस पद के तहत मुझे सभी अमृत क्लिनिक के नर्स के प्रशिक्षण और उनके नैदानिक कौशल को बढ़ाने की ज़िम्मेदारी मिली। यह अनुभव ख़ास रहा है क्योंकि मैं एक शांत स्वभाव का व्यक्ति हुँ और कभी पर्यवेक्षण का काम नहीं किया है। मुझे धीरे-धीरे समझ आया कि पर्यवेक्षण अपने अपने आप में एक क्षमता है और उसे सहयोग और सम्मान देकर किया जाए तो अत्यंत मूल्यवान होता है। नर्स प्रशिक्षण में मैंने Clinical Procedures की दो दिन की कार्यशाला रखा जिसमें प्रदर्शन द्वारा नर्सों को अलग – अलग प्रकार के procedures सिखाया जाता है।
मेरी प्राथमिक स्वास्थ्य में नर्सिंग की यात्रा काफी रोचक रही है। कई मौके, कई चुनौतियाँ आये जिससे मेरी क्षमता और सोच बढ़ती गयी। मुझे अत्यंत कुशल डॉक्टरों के साथ काम करने का और सीखने का मौका मिला है। कभी सोचा नहीं था एक नर्स के रूप में हम इतना कुछ कर पाएंग परंतु अब लगता है जैसे नामुम्किन कुछ भी नहीं है ।